Sangeeta

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लेखनी कहानी -26-Feb-2022 खिल खिलाने लगी


#लेखनी दैनिक प्रतियोगिताएं हेतु

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अब  ज्यादा ही खिलखिलाने लगी हूं,
झूठे ही सही,दिल को बहलाने लगी हूं,

रफ्ता-रफ्ता कट रहा है हर सफर,
टूटा है दिल, हर एक बार हर डगर,

मुश्किलों से एक अनुभव पा रही हूं,
हर हाल में हर पल मुस्कुरा रही हूं,

क्या करें इस दिल का, बड़ा ही नाजुक है,
हो जाता हर बात पर, थोड़ा सा भावुक है,

दिल का अब  हौंसला बंधा रही हूं,
तब जाकर हर फैसला ले पा रही हैं,

एक बचपन मन में अब भी ठहरा है,
जो जी ने सकी वो ख्वाब एक सुनहरा है,

उम्र की दीवार बढ़ती जा रही है,
वक्त की नजाकत को सिखा रही है,

सोना कुंदन बन जाता है,
जब अग्नि में पक जाता है,

अनगिनत चोटें  खाता है,
तब आभूषण कहलाता है,

जिंदगी, कदम-कदम पर आजमाती हैं
और चुनौतियों से अवगत कराती है,

मजबूती चुनौतियों से पा रही हूं,
अब परिपक्व होती जा रही हूं,
संगीता वर्मा✍️✍️


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5 Comments

Lotus🙂

27-Feb-2022 12:15 PM

बेहतरीन

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Swati chourasia

27-Feb-2022 07:02 AM

Very beautiful 👌

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Seema Priyadarshini sahay

27-Feb-2022 01:01 AM

बहुत खूबसूरत

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